नई दिल्ली: देश की सबसे वैल्यूएबल कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) का मार्केट कैप हाल में 20 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया। मुकेश अंबानी यह कंपनी दलाल स्ट्रीट के इतिहास में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली कंपनी है। पिछले 19 साल में इस कंपनी के मार्केट कैप में 19 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है। यानी इस अवधि में कंपनी के मार्केट कैप में सालाना एक लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है। रिलायंस का मार्केट कैप अब मैकडॉनल्ड्स, पेप्सिको, नेटफ्लिक्स और एक्सेंचर से ज्यादा हो गया है। companiesmarketcap.com के मुताबिक रिलायंस 239.81 अरब डॉलर के मार्केट कैप के साथ दुनिया की 43वीं सबसे मूल्यवान कंपनी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2032 तक भारत को पहला ट्रिलियन डॉलर स्टॉक (करीब 83 लाख करोड़ रुपये) मिल सकता है और इस होड़ में रिलायंस सबसे आगे चल रही है।
रिलायंस का मार्केट कैप अगस्त 2005 में एक लाख करोड़ रुपये था। जुलाई 2017 में यह पांच लाख करोड़ रुपये, नवंबर 2019 में 10 लाख करोड़ रुपये, सितंबर 2021 में 15 लाख करोड़ रुपये और 13 फरवरी, 2024 को 20 लाख करोड़ रुपये पहुंचा। जानकारों का कहना है कि यह साल रिलायंस के लिए काफी अहम होने वाला है। इसकी वजह यह है कि कंपनी अब इन्वेस्टमेंट से मॉनीटाइजेशन फेज में आ गई है। पिछले तीन महीने में कंपनी का शेयर 28% चढ़ा है। रिलायंस का बिजनस पेट्रोकेमिकल से लेकर न्यू एनर्जी, टेलिकॉम और रिटेल तक फैला है। अगर रिलायंस देश का पहले 1 ट्रिलियन डॉलर स्टॉक बनता है तो इससे अंबानी परिवार की नेटवर्थ में भी काफी इजाफा होगा। रिलायंस ग्रुप में अंबानी परिवार की आधी से अधिक हिस्सेदारी है।
1 ट्रिलियन डॉलर क्लब
दुनिया में अभी केवल सात कंपनियां ही ट्रिलियन डॉलर क्लब में शामिल हैं। इनमें सऊदी अरामको को छोड़कर बाकी सभी अमेरिकी कंपनियां हैं। इस लिस्ट में पहले नंबर पर माइक्रोसॉफ्ट है। इस कंपनी का मार्केट कैप 3.020 ट्रिलियन डॉलर है। आईफोन बनाने वाली कंपनी ऐपल 2.839 ट्रिलियन डॉलर के मार्केट कैप के साथ दूसरे नंबर पर है। सऊदी अरामको (2.062 ट्रिलियन डॉलर) तीसरे, एआई चिप्स बनाने वाली कंपनी एनवीडिया (1.794 ट्रिलियन डॉलर) चौथे, गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट (1.781 ट्रिलियन डॉलर) पांचवें, जेफ बेजोस की ई-कॉमर्स कंपनी ऐमजॉन (1.763 ट्रिलियन डॉलर) छठे और मार्क जकरबर्ग की मेटा प्लेटफॉर्म्स (1.233 ट्रिलियन डॉलर) सातवें नंबर पर है। भारत में रिलायंस के अलावा एचडीएफसी बैंक और बजाज फाइनेंस इस क्लब में शामिल होने की होड़ में सबसे आगे हैं।