माना कि दिल्ली दरबार की चल रही पर इतनी भी मत चलाओ कि सब चलते बनें।जिन नेताओं ने भाजपा को खड़ा किया उनको छोड़कर एक बदनाम और पूर्व कांग्रेसी को मंत्री बना दिया यह तो न इंसाफी हुई न।जब नीचे से ऊपर तक पता है कि गोविंद सिंह राजपूत न जनता में लोकप्रिय न प्रदेश में न ही पार्टी के लिए कोई विशेष योगदान ऐसे व्यक्ति को मंत्री इसलिए बना दिया क्योंकि वो सिंधिया के सेवक है तो ऐसे में उनका क्या कसूर जो पार्टी के वफादार सेवक है गोपाल भार्गव की लोकप्रियता तो सभी जानते है ऐसे ही भूपेंद्र सिंह को इन दोनों नेताओं की बजह से सागर में भाजपा का परचम लहरा रहा है इस बात को स्वीकार करना चाहिए पार्टी को खेर अब तो एक प्रकार से बेइज्जति तो कर ही दी अब इन नेताओं के समर्थक और वोटर लोकसभा में क्या करेंगे ये तो वक्त ही बताएगा।