यदि डॉ कुँवर विजय शाह आदिवासी न होते तो कायदे से मप्र के मुख्यमंत्री होते ये बात चर्चाओं में है हर गली मौहल्लों से लेकर राजनीतिक पंडितों में भी।
क्योंकि एक इतिहास रचा है कुँवार विजय शाह ने जो कभी चुनाव नहीं हारे वो भी आदिवासी सीट से साथ ही कई बार मंत्री रहे और जिस विभाग के मंत्री रहे उस विभाग को अच्छे से चलाया बेदाग छवि के साथ अपनी जिंदगी की पूरी जवानी भाजपा को समर्पित कर दी और जब मौका आया कुछ खास करने का तो अदने से विभाग देकर मंत्री बना दिया ।जो काबिल न थे जिन पर कई आरोप लगे उन्हें उपमुख्यमंत्री और कई नए मंत्रियों को बड़े बड़े विभाग दे दिए जिन्हें कोई अनुभव तक नहीं ।मोहन यादव तो बिल्कुल भी लायक नहीं थे मुख्यमंत्री बनने के आज भी मप्र की जनता पचा नहीं रही कोई मानने तैय्यार नहीं कि मोहन यादव मुख्यमंत्री है क्योंकि विवादों में तो नाम रहा पर जनहितकारी कोई काम नहीं किये मोहन यादव ने इसलिए वह आदिवासी भी अपने आप को ठगा महसूस कर रहे जिन्होंने मोदी जी को देखकर वोट दी थी उनकी पूरी मंशा थी कि अब कुँवर विजय शाह हमारे आदिवासी भाइ को मुख्यमंत्री बनायेनंगे पर नहीं बनाया इस लिए आदिवासियों के साथ साथ अधिकांश जनता कह रही कि काश कुँवर विजय शाह आदिवासी न होते तो मुख्यमंत्री होते।।