वाकई जितनी बेइज्जती नेताओं की हो रही इस देश मे शायद ओर किसी देश मे ऐसा नहीं होता होगा।बिल्कुल मौसम की तरह दल बदल रहे सुबह धूप तो दोपहर में बरसात कदाचित यही सोच रही है जनता और उस पर सत्तारूढ़ पार्टी के नेता मजे ले रहे इसके बाद भी कांग्रेस से भाजपा में शामिल होने की होड़ सी लगी है ।जब सबको पता है समय कभी एकसा नही होता परिवर्तन प्रकृति का नियम है फिर भी सत्ता की चाशनी चाटने दण्डवत होकर पाला बदल रहे एक और बात ये दलबदलू बड़ी शान से गले मे पट्टा डालकर जनता के बीच भी जा रहे अब समस्या उस कार्यकर्ता की सबसे बड़ी है जो कल तक इनसे बुराई रखता था लड़ता था अब आमने सामने चमत्कार नमस्कार करना पड़ता।
जब लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका बहुत अहम होती है इसके बाद भी विपक्ष में रहकर जनसरोकार से जुड़े मुद्दे उठाने के बजाए विपक्ष को ही छोड़ रहे।माना कि देश तरक्की कर रहा मोदी सर्वमान्य नेता है पर स्थानीय स्तर पर जो भृस्टाचार होता है जनता अपनी शिकायत को लेकर दर दर की ठोकर खाता है अब इसकी आवाज कौन बनेगा ये एक सवाल खड़ा होता है इससे अच्छा लोकतांत्रिक व्यवस्था को खत्म ही कर देना चाहिए बस एक नेता हो केंद्र में बांकी सब दरबारी।बहरहाल कचरा जो तीन प्रकार का होता है वो भर ही गया अब ये कचरा कितना प्रदूषण करेगा ये आने वाला बक्त बताएगा।।