….सीएम ऑन द स्पॉट…मोहन यादव
दुर्गेश तिवारी रायसेन ब्यरो
मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री का ऐलान हुआ, तो राजनीतिक क्षेत्रों में असमंजस और अनिश्चितता जैसा माहौल देखा जा रहा था। लेकिन जिस तरह से उन्होंने फैसले लेना शुरू किया है, उसने सभी को चौंका दिया है। और तो और मुख्यमंत्री ऑन द स्पॉट फैसला लेन वाले सीएम के रूप में प्रसिद्ध होते जा रहे हैं। एक दुर्घटना के बाद परिवहन विभाग में उच्च स्तर तक के अफसरों को रुखसत कर दिया, तो एक ड्रायवर से अभद्र भाषा का प्रयोग करने वाले कलेक्टर को भी हटाने में कोई देर नहीं की।
पद संभालने के कुछ ही दिनों में पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी और कई आईएएस सहित अन्य अधिकारियों का ताबड़तोड़ ट्रांसफर करके सीएम ने अपने तेवर दिखाना शुरू कर दिया था। तीन जनवरी को उन्होंने शाजापुर कलेक्टर किशोर कान्याल को जिले से हटा दिया। कान्याल ने ट्रक-बस ड्राइवरों की बैठक में उन्हें ‘औकात’ देखने की बात कही थी। इसके बाद सीएम मोहन ने कहा कि यह सरकार गरीबों की सरकार है। सबके काम का सम्मान होना चाहिए और भाव का भी सम्मान होना चाहिए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हम गरीबों के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं. हम लगातार गरीबों की सेवा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मनुष्यता के नाते ऐसी भाषा हमारी सरकार में बर्दाश्त नहीं. मैं खुद मजदूर परिवार का बेटा हूं। इस तरह की भाषा बोलना उचित नहीं है। अधिकारी भाषा और व्यवहार का ध्यान रखें। देखा जाए तो यह प्रदेश की बेलगाम अफसरशाही के लिए बड़ा संदेश है।
मुख्यमंत्री बनते ही सीएम मोहन यादव ने सबसे पहले पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी को हटाकर उनकी जगह राघवेन्द्र कुमार सिंह को अपना प्रमुख सचिव बनाया था। इसके बाद जनसंपर्क विभाग के आयुक्त, माध्यम के प्रबंध संचालक और मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के प्रबंध संचालक मनीष सिंह को हटा दिया। नीरज मंडलोई को मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के प्रबंध संचालक का प्रभार दिया और विवेक पोरवाल को जनसंपर्क विभाग के आयुक्त का प्रभार दे दिया। नीरज कुमार वशिष्ठ को भी मुख्यमंत्री के उप सचिव के पद से हटा दिया।
उन्होंने आठ जिलों के सहायक कलेक्टर भी ट्रांसफर कर दिए। इसके अलावा गुना में दर्दनाक बस हादसे के बाद गुना के कलेक्टर तरूण राठी , गुना के एसपी विजय कुमार खत्री और परिवहन आयुक्त संजय कुमार झा को भी हटा दिया था। खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग के प्रमुख सचिव उमाकांत उमराव को राजस्व मंडल ग्वालियर भेज दिया। मुख्यमंत्री और जनसंपर्क विभाग के सचिव विवेक पोरवाल को राजस्व विभाग में ट्रांसफर किया गया। संदीप यादव को जनसंपर्क विभाग का आयुक्त बना दिया गया। कई जिलों में कलेक्टर बदल दिए गए।
असल में नए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के सामने वही चुनौतियां थीं, जो किसी भी नए और अचर्चित मुख्यमंत्री के सामने होती है। उन्हें तय करना था कि वो पूर्ववर्ती शिवराज सरकार की छाया और प्रशासनिक शैली से बाहर निकलकर नई पिच पर कैसी बैटिंग करते हैं। जनता देख रही है कि उनकी अपनी सोच, संघ से तालमेल, भाजपा के एजेंडे को क्रियान्वित करने का संकल्प, नौकरशाही में धमक कायम करने का जज्बा और प्रशासनिक तंत्र को नए नई और सही दिशा में ले जाने की क्षमता कितनी है। इस दृष्टि से इतना तो कहा ही जा सकता है कि सीएम डॉ.मोहन यादव ने इस वन डे मैच के शुरूआती ओवर दमदारी से सधे हाथों से खेले हैं और इस बात के पुष्ट प्रमाण भी मिलते जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री बनने के तत्काल बाद जारी उनका पहला आदेश प्रदेश में धार्मिक स्थानों पर जोर से लाउड स्पीकर बजाने और खुले में मांस और अंडे की बिक्री पर सख्ती से रोक का निकला, जिसने यह संदेश दे दिया कि नई सरकार संघ की सोच के साथ भी चलेगी। हालांकि इस फैसले को यूपी में योगी आदित्यनाथ सरकार के दूसरे कार्यकाल के मंगलाचरण की नकल के रूप में भी देखा गया, लेकिन धार्मिक स्थलों और अन्य कायक्रमों में कई बार बहुत ज्यादा शोर और कानफोड़ू लाउड स्पीकर आम जनता की परेशानी का सबब बन गए थे। चूंकि मामला धार्मिक था, इसलिए इसके खिलाफ कोई बोलने की हिम्मत नहीं कर पाता था।
एक निजी बस और डंपर की टक्कर के बाद लगी आग में 13 यात्रियों की जलकर मौत हो गई थी। जांच में सामने आया कि दोनों ही वाहन अवैध तरीके से चल रहे थे। इसके बाद सीएम मोहन यादव ने गुना जिले के कलेक्टर, एसपी के साथ साथ ट्रांसपोर्ट कमिश्नर और प्रमुख सचिव परिवहन को भी पद से हटा कर समूची नौकरशाही में कड़ा संदेश दिया। यह मौका देखकर चौका मारने वाली बात भी थी, क्योंकि आगे पीछे शिवराज सरकार में प्रमुख पदों पर बैठे अफसरों को हटना ही था, लेकिन सडक़ हादसा इसका निमित्त बन गया। वैसे भी किसी सडक़ हादसे में सरकार द्वारा अब तक की गई यह सबसे बड़ी कार्रवाई है। हालिया चौंकाने वाला फैसला था शाजापुर कलेक्टर को हटाए जाने का। यह फैसला उनकी जननायक की छवि बनाने में निश्चित तौर पर मील के पत्थर का काम करेगा। केबिनेट में उन्होंने मिलेट्स पर जोर देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ताजा मंशा को प्रदेश में व्यावहारिक रूप देना शुरू कर दिया है। ये कार्यप्रणाली नए मुख्यमंत्री की मनमोहनी छवि को स्थापित करने में सहायक साबित होगी