वो अभागा हीरो, जिसने 38 साल में की 48 फिल्में, नहीं मिला लीड रोल, कपूर खानदान के चिराग का गुमनामी में बीता जीवन
Updated on
17-12-2024
बॉलीवुड में अगर किसी का सबसे बड़ा परिवार है तो वह है कपूर खानदान। एक सदी से ये फैमिली इंडस्ट्री पर राज कर रही है। पृथ्वीराज कपूर ने फिल्मों में कदम रखा था और उसके बाद से ये कारवां चलता ही रहा। हालांकि इस परिवार का एक ऐसा सदस्य था, जिसे कभी काम का क्रेडिट ही नहीं मिला। यहां तक कि राज कपूर तक ने कास्ट नहीं किया। फिल्मों में सिर्फ कैमियो किया और गुमनाम रहा। आज हम आपको उसी अभागे एक्टर के बारे में बताने जा रहे हैं।
पृथ्वीराज कपूर के आने के बाद इस परिवार ने अनगिनत सितारे और सुपरस्टार दिए हैं, और फिल्मों में आने के बाद लगभग सभी ने पॉप्युलैरिटी हासिल की है। यहां 'लगभग' शब्द जरूरी है क्योंकि इस शानदार परिवार के एक एक्टर को अपना पेट पालने के लिए एक्स्ट्रा के तौर पर काम करना पड़ा था। यहां तक कि उन्हें अपने फेमस भतीजे राज कपूर से भी कोई ऑफर नहीं मिला था।
कपूर खानदान का अभागा एक्टर
हम बात कर रहे हैं रविंद्र कपूर की, जो पृथ्वीराज कपूर के चचेरे भाई हैं और फेमस कैरेक्टर आर्टिस्ट कमल कपूर के भाई हैं। उन्होंने अपने चचेरे-सगे भाइयों और भतीजे के साथ फिल्मों में काम किया। शुरुआत में ठोकर (1953) और पैसा (1957) जैसी फिल्मों में छोटे रोल किए। हिंदी फिल्मों में ज्यादा सफलता न मिलने के बाद उन्होंने 1960 में पंजाबी सिनेमा का रुख किया और वहां काम करना शुरू किया। उस इंडस्ट्री में उनकी पहली फिल्म 'चंबे दी कली' थी, जो सुपरहिट हुई थी।
रविंद्र कपूर ने की फिल्में, मगर नहीं मिला लीड रोल
रविंद्र कपूर ने पंजाबी फिल्मों में काम करना जारी रखा था। लेकिन उन्होंने फिर बॉलीवुड में वापसी की और 'आया सावन झूम के' और 'यादों की बारात' जैसी सुपरहिट हिंदी मूवीज में साइड रोल किया लेकिन वो पहचान नहीं मिली। फिर 1971 में आई 'कारवां' में उन्हें थोड़ी पॉप्युलैरिटी मिली। इसमें उनकी और जितेंद्र की दोस्ती को देख जनता ने खूब प्यार दिया था।
रविंद्र कपूर के किरदार का नाम तक नहीं होता था
रविंद्र कपूर 1980 तक तो छोटे रोल्स तक ही सिमटकर रह गए थे। 'मंजिल मंजिल', 'द बर्निंग ट्रेन' और 'कयामत से कयामत तक' में भी उन्होंने काम किया था। फिल्में हिट हुई थीं। सबकी बातें हुईं। लेकिन उन्हें बिना क्रेडिट के ही दिखाया गया था। अक्सर उनके रोल्स इतने छोटे होते थे कि उनके किरदार का कोई नाम तक नहीं होता था।
राज कपूर रिश्ते में लगते थे भतीजे
कपूर खानदान के ये इकलौते सदस्य हैं, जिन्होंने बहुत लंबे समय तक काम किया है लेकिन कभी भी राज कपूर की प्रोडक्शन कंपनी आरके फिल्म्स की मूवीज में काम नहीं किया। उनके भाई कमल कपूर ने इस प्रोडक्शन हाउस के बैनर तले बनी 'आग' सहित कुछ और फिल्मों में अभिनय किया है लेकिन रविंद्र को ऐसी किस्मत नहीं मिली। हालांकि कभी भी एक्टर और उनके परिवार के लोगों ने इसके पीछे की वजह बताई।
रविंद्र कपूर की आखिरी फिल्म
रविंद्र कपूर को लेकर लोग अक्सर पंजाबी एक्टर रविंदर कपूर 'गोगा' ही समझते थे। नाम एक होने के कारण लोग उन्हें वही समझने लगे थे। लेकिन वह दोनों ही अलग शख्सियत हैं। रविंद्र कपूर ने कभी टीवी नहीं किया है। 1980 में उन्होंने फिल्में छोड़ दी थी। आखिरी पिक्चर जो रिलीज हुई थी वो 1991 में आई 'बेनाम बादशाह' थी।
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