(जितेन्द्र दुबे )शाहनगर विकास खंन्ङ के देवरी मे चल रही है सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के दौरान रविवार 11 फरवरी को श्री क्रष्ण जन्म की कथा सुन श्रद्धालु भाव विभोर हो गये इस दौरान उपकाशी हटा से पहूंचे कथा व्यास श्री रामनारायण पान्ङेय ने कथा के दौरान बताया की अहंकार नहीं करना चाहिए, अहंकार बुद्धि और ज्ञान का हरण कर लेता है। अहंकार ही मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है । जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी, तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा। सात संतानों के बाद जब अष्टमी संतान बसुदेव जी महराज की धर्मपत्नी देवकी गर्भवती हुई, तो उसे अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था। भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते हैं। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए। शास्त्री ने कहा कि जब-जब धरती पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते हैं। जैसे ही कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ पूरा पंडाल जयकारों से गूंजने लगा।
श्रद्धालु भक्ति में लीन होकर जमकर झूमे श्रीकृष्ण जन्म उत्सव पर नन्द के आनंद भयो जय कन्हैयालाल की भजन प्रस्तुत किया तो श्रद्धालु भक्ति में लीन होकर जमकर झूमे। एक-दूसरे को श्रीकृष्ण जन्म की बधाईयां दी गई, एवं पटाखे फोखिलौने और मिठाईयां बाटी गई। कथा महोत्सव में बड़ी संख्या में महिलाओं ने भजन श्रवण कर भगवान श्री कृष्ण के जन्म की खुशियां मनाई। कथा में प्रथम श्रोता श्री मति कपसा बाई एवं संतकुमार सिंह सहित श्रोता शामिल रहे ।